मंगलवार, 18 अगस्त 2009

मै किसका हु

अक्सर मै सोच में पड़ जाता हु
कि में किसका हु /
जब में कोई अच्छा कम करता हु /
तो /
सब मुझे पलकों पे बिठा लेते है /
दादी कहती है /मेरा लाडला पोता /
चाची कहती है /मेरा भतीजा /पड़ोसी खुस के वो मेरे अपने /
सब मेरे मै सब का /
लेकिन बस एक असफलता
से सब बदल /जाता है
दादी कहती है फलाने का बेटा
पड़ोसी सर्मिन्दा कि वो मेरे /

1 टिप्पणी:

  1. अच्छा लिखा है. जारी रहें. सतत लेखन के लिए शुभकामनाएं.

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    Till 30-09-09 लेखक / लेखिका के रूप में ज्वाइन [उल्टा तीर] - होने वाली एक क्रान्ति!

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